भारतीय किसान : बच्चों के लिए आलेख | Essay In Hindi on Indian Farmer
भारतवर्ष कृषकों का देश है। वह मनुष्य, जो जोतने-बोने का काम करता है, कृषक या किसान कहलाता है। वह खेत जोतता है, मिट्टी खोदता है और बीज बोता है। वह साल-भर अपने खेत में परिश्रम करता है। वह साधारण वस्त्र पहनता है और साधारण जीवन व्यतीत करता है। वह सिर्फ ठेहुने तक एक धोती और एक अंगोछा रखता है। कभी-कभी वह हाथ में लाठी भी रखता है। वह साधारण भोजन करता है। वह बैल, गाय और बछड़े रखता है। गाय उसे दूध देती है और बैल खेत जोतते हैं।
गरीब होकर भी वह संतुष्ट रहता है। अपने परिवार के साथ वह सुख-चैन का जीवन बिताता है। वर्षा ऋतु और सूर्य की गर्म किरणों में वह काम करता है। उसके परिवार की स्त्रियाँ भी खेत में जाती हैं और घास उखाड़ती, बीज बोती तथा कटनी करती हैं।
उसकी आदतें सीधी-सादी है, परन्तु वह जानता है कि संसार में क्या हो रहा है। बाहरी दुनिया की जानकारी उसे जितनी अधिक हो रही है, उतनी अधिक वह जानने को इच्छुक है। वह महाजन से ऊँची सूद-दर पर रुपये लेता है। वह हमेशा ऋण के बोझ से दबा रहता है।
वह मनुष्यों का अन्नदाता है। उसकी दशा में सुधार होना आवश्यक है। पुस्तकालय भी आवश्यक है, जहाँ वह पत्र- पत्रिकाएँ पढ़ सके। उनके बच्चों के लिए पाठशाला चाहिए। सरकार को उसकी मदद करनी चाहिए। सहकारी खेती का सूत्रपात होना चाहिए। उसे खेती के काम के लिए आधुनिक यंत्र मिलना चाहिए।
हरेक देश में इसके महत्त्व को समझा जा रहा है। अब भारतीय किसान भी अपना अधिकार पाने के लिए कमर कस चुके हैं। विनोबा भावे का 'भूदान-यज्ञ' और 'बटाईदारी कानून' इसके अधिकार दिलाने के उद्देश्य हैं।
Sitesh Choudhary
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