बैना, बायना या बेन बिहार की प्रमुख प्रथा-परम्पराओं का प्रमुख अंग है।
बैना, बायना या बेन…..
बायना यानी विवाह के बाद वधू पक्ष की तरफ से आई मिठाई को सबको उपहार स्वरूप बांटना।
बिहार में खासकर मिथिलांचल में विवाह में बताशा, खाझा, बालूशाही, लड्डू, ढूंढी, झिल्ली या एहिभफ्फर मुख्य मिठाई होती है।
विवाह के दूसरे दिन गृहस्वामिनी बहु के घर से आए एक सुन्दर से डलवा में मिठाई और एक साड़ी रखकर ऊपर से क्रोशिए के बने सुंदर से थालपोश से ढंक कर पूरे गांव में मिठाई बंटवाती हैं।
जितनी महिलाएं दुल्हन की मुंह दिखाई करने आती हैं, उनको भी बायना दिया जाता है। विवाह में आए रिश्तेदार जब घर वापस जाने लगते हैं तब उनको मिठाई का बायना देकर विदा किया जाता है। सारी मिठाई एक तरफ और बायना की मिठाई खाने का आनन्द एक तरफ होता है।
जब घर में बहु आती है, तब घर के लड़के-लड़कियों का सबसे ज्यादा ध्यान मिठाई के डिब्बे खोलने पर रहता है, क्योंकि गत्ते पर, गत्ते के अन्दर खूब शायरी और दूल्हे के भाई, बहन, बुआ, समधी, समधन के लिए गाली लिखी होती है।
ढूंढी बनाते समय उसके अंदर सिक्के, छोटे आलू, शायरी लिखकर पर्ची डाल दिया जाता है। सारे लोग उन शायरियों और मजाक में लिखी गालियों को पढ़-पढ़ कर हंसते है। घर में खूब हंसी-मजाक का आंनदमय माहौल बना रहता है।
खास बात यह है कि आज के दौर में भी मिथिलांचल में यह प्रथा प्रचलन में है और आज के दौर के लोग भी इसका आनंद उठाते हैं।
Sitesh Choudhary
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जय मिथिला