नेचरोपैथी से मोटापे पर जीत की कहानी
जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट की प्रमुख डॉक्टर डॉ. बबीना एनएम द्वारा प्रबंधित एक उल्लेखनीय मामला
नई दिल्ली – जब भी हम स्वस्थ जीवन की बात करते हैं, तो हमें अक्सर चिकित्सा के आधुनिक तरीकों के बारे में सोचने की आदत हो जाती है। लेकिन कुछ मामलों में पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी चमत्कारिक प्रभाव डाल सकती हैं। हाल ही में, जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट ने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसमें एक महिला ने नेचरोपैथिक उपचार के माध्यम से अपने मोटापे और उच्च रक्तचाप को मात दी है।
मामले की शुरुआत और चुनौतियाँ
मीना शर्मा, 43, एक मध्यम आयु वर्ग की महिला, ने मोटापे और उच्च रक्तचाप की गंभीर समस्याओं का सामना किया। पिछले चार वर्षों से वह मोटापे से जूझ रही थीं, और पिछले एक साल से उच्च रक्तचाप की समस्या ने उनके स्वास्थ्य को और भी जटिल बना दिया था। विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों से उपचार कराने के बावजूद कोई स्थायी सुधार नहीं हुआ। अंततः, उन्होंने जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट में नेचरोपैथिक उपचार के लिए संपर्क किया।
नेचरोपैथिक उपचार का व्यापक दृष्टिकोण
जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट ने मीना शर्मा के इलाज के लिए एक समग्र नेचरोपैथिक योजना को अपनाया। इस योजना में विभिन्न नेचरोपैथिक थैरेपीज़ शामिल थीं, जैसे कि मिट्टी के पैक, आंखों के पैक, और पेट के पैक। इसके अतिरिक्त, डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रियाएँ जैसे कि एनिमा और कोलोन हाइड्रोथेरेपी भी शामिल थीं। इस उपचार योजना के अंतर्गत एक संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियों का भी पालन किया गया, जिसमें योग और एरोबिक्स शामिल थे।
उपचार के परिणाम
20 दिनों के उपचार कार्यक्रम के बाद, मीना शर्मा के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। उनका वजन 127.9 किलोग्राम से घटकर 119.2 किलोग्राम हो गया। उनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 38.6 से घटकर 35.9 हो गया, और उनके शरीर की वसा 47.8 किलोग्राम से घटकर 42.2 किलोग्राम हो गई। इसके अलावा, उनका रक्तचाप 143/97 मिमीHg से सुधार कर 124/82 मिमीHg हो गया।
डॉ. बबीना एनएम की प्रतिक्रिया
डॉ. बबीना एनएम, जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट की प्रमुख डॉक्टर, ने इस सफलता पर टिप्पणी करते हुए कहा, “नेचरोपैथी ने एलोपैथिक दवाओं के बिना मरीज की स्थितियों को प्रबंधित करने में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ। लक्षित नेचरोपैथिक थैरेपीज़ और संतुलित आहार के संयोजन ने उनके शरीर को डिटॉक्सिफाई करने, अतिरिक्त वसा को कम करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद की।”
भविष्य की दिशा
जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट ने इस सफलता के आधार पर भविष्य में और भी मरीजों को नेचरोपैथिक उपचार की दिशा में प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इंस्टीट्यूट की योजना है कि वह मुफ्त ऑनलाइन योग सत्र आयोजित करे ताकि लोग स्वस्थ और शांत जीवन जीने के तरीकों को समझ सकें और अपनाएँ।
निष्कर्ष
यह मामला नेचरोपैथिक चिकित्सा के प्रति बढ़ते विश्वास और इसके संभावित लाभों को उजागर करता है। मीना शर्मा की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से संतुष्ट नहीं हैं और वैकल्पिक उपचार की दिशा में सोच रहे हैं। जिन्डल नेचरोक्योर इंस्टीट्यूट ने एक बार फिर साबित किया है कि सही चिकित्सा योजना और संपूर्ण उपचार दृष्टिकोण से किसी भी स्वास्थ्य समस्या का समाधान संभव है।
Sitesh Choudhary
Follow Us On Facebook || Subscribe Us On Youtube || Find Us On Instagram ||
Check Us On Pinterest || Follow Us On X (Tweeter)
Wah