National Lok Adalat | 5 बेटियों के माता-पिता का लोक अदालत में पुनर्मिलन!

National Lok Adalat | नेशनल लोक अदालत में 70 वर्षीय दम्पति का पुनर्मिलन, आपसी समझौते से पारिवारिक विवादों का समाधान, न्यायधीशों की समझाइश से परिवार को मिला नया जीवन।


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National Lok Adalat | नेशनल लोक अदालत में विवाद खत्म, पेंशन पत्नी के नाम!

नेशनल लोक अदालत: 70 वर्षीय दम्पति ने फिर से बसाया घर

आपसी समझौते से परिवार को मिला नया जीवन | National Lok Adalat

पारिवारिक विवादों का समाधान आपसी समझौते और संवाद से संभव है। इस बात की एक महत्वपूर्ण मिसाल खाचरोद में आयोजित नेशनल लोक अदालत (National Lok Adalat) में देखने को मिली, जहां एक 70 वर्षीय दम्पति ने एक दूसरे को फिर से अपनाया। यह दम्पति, जो पांच बेटियों के माता-पिता हैं, छोटे-से विवाद के चलते अलग हो गए थे। लेकिन, न्यायालय की पहल और समझाइश के बाद वे फिर से साथ रहने को तैयार हो गए।

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नेशनल लोक अदालत की भूमिका | National Lok Adalat

नेशनल लोक अदालत का उद्देश्य पारिवारिक, घरेलू और अन्य मामलों में जल्दी और शांतिपूर्ण समाधान करना होता है। यहां न तो हार होती है और न जीत, बल्कि आपसी समझौते से विवादों का समाधान होता है। लोक अदालतों में मामलों का निपटारा न्यायधीशों और बार सदस्यों की समझाइश से होता है, जिससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि परिवार भी बिखरने से बच जाता है।

प्रमुख मामला: 70 वर्षीय दम्पति का पुनर्मिलन | National Lok Adalat

खाचरोद की इस लोक अदालत में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।

  • परिवार: पांच बेटियों के माता-पिता, 70 वर्षीय दम्पति
  • विवाद: जमीन के छोटे-से मुद्दे पर दम्पति के बीच विवाद
  • फैसला: लोक अदालत की समझाइश से एक-दूसरे को पुष्प माला पहनाकर दम्पति ने पुनः साथ रहने का निर्णय लिया

इस घटना के बाद पति, जो रेलवे से सेवानिवृत्त हैं, ने अपनी पेंशन पत्नी के नाम करने का भी निर्णय लिया। यह मामला आपसी समझौते से परिवार को बचाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

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अन्य मामले: युवा दम्पति का पुनर्मिलन | National Lok Adalat

इसी लोक अदालत में एक और युवा दम्पति का मामला भी देखा गया, जहां पारिवारिक विवाद और आपसी मतभेद के कारण वे अलग रह रहे थे। लेकिन न्यायधीशों की काउंसलिंग और बार सदस्यों की समझाइश के बाद यह दम्पति भी एक साथ रहने को तैयार हुआ।

अदालत का आयोजन और मुख्य अतिथि | National Lok Adalat

खाचरोद में आयोजित इस नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश शोएब खान साहब द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

प्रमुख अतिथि:

  • जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश: शोएब खान
  • व्यवहार न्यायाधीश: पंकज बुटानी
  • न्यायाधीश: सेफाली सिंह
  • अधिवक्ता संघ खाचरोद अध्यक्ष: प्रवीण पाण्डिया

कार्यक्रम में नगर पालिका खाचरोद, कनिष्ठ यंत्री विद्युत विभाग और बैंकों के अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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नेशनल लोक अदालत: विवादों का शीघ्र समाधान | National Lok Adalat

नेशनल लोक अदालत में घरेलू हिंसा, सिविल सूट, जलकर और बैंक रिकवरी जैसे कई मामलों का निपटारा किया गया। लोक अदालत की खासियत यह है कि यहां मामलों का समाधान जल्दी हो जाता है और न्यायालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

लोक अदालत में निपटारे के प्रमुख क्षेत्र:

  1. हिन्दू विवाह और सिविल सूट
  2. घरेलू हिंसा के मामले
  3. नगर पालिका जलकर और दुकान किराया विवाद
  4. बैंक रिकवरी और अन्य प्रिलिटिगेशन मामले

इन सभी मामलों में आपसी सहमति से प्रकरणों का निपटारा किया गया, जिससे समय और पैसों की बचत हुई।

समझाइश का महत्व: आपसी सहमति से समाधान | National Lok Adalat

बार उपाध्यक्ष सिराज मिर्जा एडवोकेट ने बताया कि नेशनल लोक अदालत में ना कोई हारता है और ना कोई जीतता है। यहां आपसी समझौते से जीवन को पुनः व्यवस्थित करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा, “न्यायालय की समझाइश से ही हृदय परिवर्तन होता है और विवादों का शीघ्र निपटारा होता है, जिससे समय और धन की बचत होती है।”

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नेशनल लोक अदालत के फायदे: | National Lok Adalat

  • जल्दी समाधान: लोक अदालत में मामलों का निपटारा जल्दी हो जाता है।
  • समझाइश और काउंसलिंग: न्यायधीश और अधिवक्ताओं की समझाइश से दम्पतियों में हृदय परिवर्तन होता है।
  • आर्थिक बचत: कोर्ट के चक्करों और महंगे केसों से बचने में मदद मिलती है।
  • पारिवारिक जीवन में स्थिरता: लोक अदालत के माध्यम से टूटते हुए परिवारों को फिर से बसाने का मौका मिलता है।
प्रमुख लाभविवरण
समय की बचतमामलों का जल्दी निपटारा होता है
आर्थिक बचतकोर्ट के महंगे खर्चों से बचत
आपसी समझौताविवादों का शांतिपूर्ण हल
पारिवारिक स्थिरतापरिवारों को टूटने से बचाना
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नेशनल लोक अदालत: समाज के लिए संदेश | National Lok Adalat

खाचरोद में नेशनल लोक अदालत का यह आयोजन सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। परिवार और दम्पतियों के बीच के विवाद, जो अक्सर छोटी-छोटी बातों पर शुरू होते हैं, आपसी संवाद और समझाइश से सुलझाए जा सकते हैं।

यह अदालत केवल विवादों का समाधान नहीं करती, बल्कि जीवन जीने का सही तरीका भी सिखाती है। परिवारों को तोड़ने के बजाय जोड़ने पर बल दिया जाता है। यही कारण है कि लोक अदालतें समाज के लिए अत्यधिक उपयोगी साबित हो रही हैं।

निष्कर्ष: पारिवारिक विवादों का शांतिपूर्ण समाधान | National Lok Adalat

नेशनल लोक अदालत की यह घटना हमें यह सिखाती है कि पारिवारिक विवादों का शांतिपूर्ण और समझदारी से समाधान किया जा सकता है। छोटी-छोटी बातों पर परिवार बिखर जाते हैं, लेकिन यदि संवाद और सहमति हो, तो कोई भी विवाद ऐसा नहीं होता जो सुलझ न सके।

खाचरोद में आयोजित इस नेशनल लोक अदालत ने न केवल परिवारों को फिर से जोड़ा, बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया कि आपसी सहमति और समझाइश से हर विवाद का हल संभव है।

इस तरह की अदालतें समाज के ताने-बाने को मजबूत करती हैं और पारिवारिक जीवन को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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Kamlesh Patel

वरिष्ठ

रिपोर्टर ✍🏼कमलेश पटेल

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