Nandini Ghee | कर्नाटक का सख्त आदेश: सभी मंदिरों में सिर्फ नंदिनी घी!
कर्नाटक सरकार ने जारी किया आदेश, सभी मंदिरों में नंदिनी घी के उपयोग की अनिवार्यता | Nandini Ghee
कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को एक निर्देश जारी करते हुए राज्य के 34,000 मंदिरों में केवल नंदिनी ब्रांड घी के उपयोग का आदेश दिया है। यह निर्देश तिरुपति मंदिर में घी में पशु वसा के उपयोग के विवाद के बीच आया है। नंदिनी घी का उत्पादन कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) द्वारा किया जाता है।
मुख्य बिंदु:
- नंदिनी घी का उपयोग अनिवार्य: कर्नाटक के 34,000 मंदिरों में अब केवल नंदिनी घी का उपयोग किया जाएगा, जिसे KMF द्वारा उत्पादित किया जाता है।
- प्रसाद और दीप जलाने के लिए उपयोग: नंदिनी घी का उपयोग मंदिरों में दीप जलाने, प्रसाद तैयार करने और ‘दसोहा भवन’ में भोजन वितरण के लिए किया जाएगा।
- प्रसाद की गुणवत्ता: निर्देश में इस बात पर जोर दिया गया कि मंदिर के कर्मचारी यह सुनिश्चित करें कि प्रसाद की गुणवत्ता से कभी समझौता न हो।
तिरुपति मंदिर विवाद: पशु वसा के उपयोग का आरोप | Nandini Ghee
इस निर्देश के पीछे तिरुपति के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में घी में पशु वसा के उपयोग का विवाद मुख्य कारण है। आरोप लगाया गया कि मंदिर के लड्डुओं में घी की जगह जानवरों की चर्बी का उपयोग हो रहा था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस सप्ताह इस मामले को उठाते हुए घी के नमूनों में पशु वसा पाए जाने का दावा किया था।
तिरुपति लड्डू: एक दैनिक प्रक्रिया
तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन लगभग 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं, जिसके लिए भारी मात्रा में सामग्री की आवश्यकता होती है। इनमें 15,000 किलो घी, काजू, किशमिश, इलायची, बेसन और चीनी शामिल होते हैं। बताया जा रहा है कि घी तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले से मंगाया जा रहा था।
विवाद की शुरुआत और आरोप | Nandini Ghee
मुख्यमंत्री नायडू ने आरोप लगाया कि घी की गुणवत्ता को लेकर पहले से ही चिंता थी, और इसे जानवरों की चर्बी से तैयार किया जा रहा था। इस विवाद ने विपक्षी नेता जगन मोहन रेड्डी पर भी सवाल खड़े किए, जिनके मुख्यमंत्री रहते इन लड्डुओं में घटिया सामग्री का उपयोग होने का आरोप लगाया गया।
राजनीतिक मोड़ | Nandini Ghee
जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को नकारते हुए तेलुगु देशम पार्टी (TDP) पर राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे का उपयोग करने का आरोप लगाया। विवाद ने उच्चतम न्यायालय का भी ध्यान आकर्षित किया, जहां एक याचिका दायर की गई जिसमें मंदिर के भोजन में पशु वसा के उपयोग को संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया गया, जो धर्म और आस्था की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
कोर्ट और सरकार की प्रतिक्रिया | Nandini Ghee
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी, और केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जांच की मांग की। मंदिर प्रशासन ने अपने घी आपूर्तिकर्ता पर गुणवत्ता नियंत्रण की कमी का आरोप लगाया। तमिलनाडु स्थित एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि उनके उत्पाद ने कई प्रयोगशाला परीक्षण पास किए हैं और घी की केवल 0.01 प्रतिशत मात्रा की आपूर्ति की थी।
गुजरात की रिपोर्ट और नए खुलासे | Nandini Ghee
गुजरात की एक राज्य-प्रबंधित प्रयोगशाला से रिपोर्ट आई कि तिरुपति मंदिर में उपयोग किए गए घी के नमूनों में मछली का तेल, बीफ टालो और लार्ड (सुअर की चर्बी) पाया गया। इस पर मुख्यमंत्री नायडू ने कहा, “तिरुपति लड्डू में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया… उन्होंने घी की जगह जानवरों की चर्बी का उपयोग किया।”
सामग्री | उपयोग की मात्रा (किलो) |
---|---|
घी | 15,000 |
काजू | ज्ञात नहीं |
किशमिश | ज्ञात नहीं |
बेसन | ज्ञात नहीं |
चीनी | ज्ञात नहीं |
निष्कर्ष: | Nandini Ghee
इस विवाद के चलते तिरुपति मंदिर के खाद्य आपूर्ति में बड़े सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। वहीं, कर्नाटक सरकार ने नंदिनी घी के अनिवार्य उपयोग के आदेश से मंदिरों में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठाया है।
उद्धरण: “प्रसाद की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता।” – कर्नाटक सरकार
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