Hindu Unity | बंटोगे तो कटोगे: योगी ने दी राजनीति को नई दिशा!

Hindu Unity | योगी आदित्यनाथ के बयान "बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे" का विश्लेषण करें। जानें हिंदुत्व, भारतीय राजनीति और जातिवाद पर इसके प्रभाव को।


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Hindu Unity | योगी आदित्यनाथ का खुलासा: हिंदुत्व का अगला कदम!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर अपने कट्टर हिंदुत्ववादी रुख को स्पष्ट करते हुए एक बड़ा बयान दिया है। “बँटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे” यह बयान सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील हो सकता है, लेकिन इसमें छिपा संदेश स्पष्ट है – हिंदुओं की सुरक्षा और एकता को बनाए रखना।

यह लेख इस बयान की राजनीतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण करेगा। साथ ही, हम इसे भारतीय राजनीति में कैसे देखा जाना चाहिए, इस पर भी विचार करेंगे।

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योगी आदित्यनाथ का बयान: एक सांप्रदायिक संवेदनशील मुद्दा | Hindu Unity

बयान का सार

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में कहा, “बाँटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे।” उन्होंने यह भी कहा कि जो गलती बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुई, वह भारत में नहीं होनी चाहिए। यह बयान स्पष्ट रूप से हिंदुओं की सुरक्षा और एकता की ओर इशारा करता है।

सांप्रदायिकता और सुरक्षा

इस बयान को कई लोग सांप्रदायिक नजरिए से देख सकते हैं। लेकिन अगर इसे गहराई से समझा जाए, तो यह बयान हिंदुओं की सुरक्षा और उनके एकजुट होने के संदेश को दर्शाता है।

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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि | Hindu Unity

मंडल कमीशन की रिपोर्ट

1980 और 90 के दशक के अंत में मंडल कमीशन की रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी। वीपी सिंह ने इसे लागू करने का फैसला किया, जिसका उद्देश्य पिछड़ा वर्ग को सशक्त करना था।

  • वीपी सिंह की रणनीति: उनकी राजनीति कभी पिछड़ा वर्ग के हित से जुड़ी नहीं थी। उनका लक्ष्य था कि पिछड़ा वर्ग, क्षत्रिय, और मुसलमानों को जोड़कर कांग्रेस और बीजेपी को राजनीतिक रूप से कमजोर किया जाए।
  • राजनीतिक प्रभाव: इस रणनीति से बीजेपी और कांग्रेस दोनों के राजनीतिक जनाधार को नुकसान पहुँचा।

बीजेपी का हिंदुत्व का रास्ता

मंडल कमीशन के लागू होने के बाद बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हुई। बीजेपी ने हिंदुत्व का रास्ता चुना और 1988 के पालमपुर अधिवेशन में राम मंदिर आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया।

  • राम रथ यात्रा: आडवाणी जी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए यात्रा शुरू की। इस यात्रा ने बीजेपी को हिंदुत्ववादी राजनीति का चेहरा बना दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी की असहमति

अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या आंदोलन के संदर्भ में अपनी असहमति जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि “याद रखिए, आप लोग अयोध्या जा रहे हैं, लंका नहीं।”

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वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य | Hindu Unity

जातिवाद का विद्रूप चेहरा

वर्तमान में भारतीय राजनीति एक बार फिर जातिवाद के संकट से गुजर रही है। राहुल गांधी ने हाल ही में जातिवाद पर सवाल उठाया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय राजनीति में जातिवादी मुद्दे अभी भी प्रभावी हैं।

  • जातिवाद का प्रभाव: जातिवाद भारतीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यह न केवल समाज को विभाजित करता है बल्कि राजनीतिक दलों के लिए एक चुनौती भी खड़ी करता है।
  • राहुल गांधी का सवाल: राहुल गांधी का सवाल उठाना दर्शाता है कि वे जातिवाद के मुद्दे को राजनीति में प्रमुख बनाना चाहते हैं।
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योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व का रास्ता | Hindu Unity

हिंदुत्व की राजनीति

योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व की राजनीति को आगे बढ़ाया है। उनका बयान “बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे” यह दर्शाता है कि हिंदुत्व की राजनीति अब भी भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • सांप्रदायिकता और सुरक्षा: उनका बयान हिंदुओं की सुरक्षा और एकता की दिशा में एक स्पष्ट संदेश है।
  • बांग्लादेश का संदर्भ: बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो गलतफहमी हुई, उससे बचने के लिए उन्होंने यह बयान दिया है।

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी ने हमेशा हिंदुत्व को अपनी राजनीति का एक प्रमुख हिस्सा बनाया है। यह रणनीति उन्हें राजनीतिक लाभ दिलाती है, खासकर जब विपक्ष जातिवाद और अल्पसंख्यकवाद के मुद्दों को प्रमुखता देता है।

  • राम मंदिर आंदोलन: बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जिसने उन्हें व्यापक जनाधार दिलाया।
  • हिंदुत्व की दिशा: बीजेपी ने हिंदुत्व को एक ऐसी राजनीति के रूप में अपनाया, जो न केवल उन्हें वोट दिलाता है बल्कि उनके राजनीतिक अस्तित्व को भी मजबूत करता है।
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योगी आदित्यनाथ के बयान का प्रभाव | Hindu Unity

राजनीतिक प्रतिक्रिया

योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक है। विपक्ष इसे सांप्रदायिकता बढ़ाने का आरोप लगाएगा, जबकि बीजेपी इसे हिंदुओं की सुरक्षा और एकता के संदर्भ में सही ठहराएगी।

  • विपक्ष का आरोप: विपक्ष इस बयान को सांप्रदायिकता बढ़ाने और हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाएगा।
  • बीजेपी की सफाई: बीजेपी इसे हिंदुओं की सुरक्षा और एकता के संदर्भ में सही ठहराएगी, जिसमें उनके लिए यह बयान एक राजनीतिक चाल नहीं बल्कि एक सुरक्षा का उपाय है।

समाज पर प्रभाव

योगी आदित्यनाथ के इस बयान का समाज पर भी असर होगा। हिंदू-मुस्लिम संबंधों में तनाव बढ़ सकता है, लेकिन साथ ही हिंदू समुदाय में एकता का भाव भी जाग सकता है।

  • धार्मिक ध्रुवीकरण: इस बयान से धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है, जिससे समाज में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
  • हिंदू एकता: हिंदू समुदाय में एकता का भाव जाग सकता है, जिससे वे राजनीतिक रूप से अधिक संगठित हो सकते हैं।

दीर्घकालिक प्रभाव

इस बयान का दीर्घकालिक प्रभाव भी हो सकता है। यह बयान आने वाले चुनावों में हिंदुत्व को प्रमुख मुद्दा बना सकता है, जिससे बीजेपी को लाभ मिल सकता है।

  • चुनावी लाभ: बीजेपी इस बयान का चुनावी लाभ उठा सकती है, खासकर उन राज्यों में जहाँ हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण अधिक प्रभावी होता है।
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: यह बयान राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है, जिससे बीजेपी को अपने वोट बैंक को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
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निष्कर्ष | Hindu Unity

योगी आदित्यनाथ का यह बयान भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह न केवल हिंदुत्व की राजनीति को फिर से मजबूती देगा बल्कि भारतीय समाज में भी एकता और अखंडता के महत्व को उजागर करेगा।

हालांकि, इसके साथ ही यह बयान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और जातिवाद को भी बढ़ावा दे सकता है, जिससे समाज में तनाव उत्पन्न हो सकता है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान से यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार हिंदुओं की सुरक्षा और एकता को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उनका बयान “बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे” भारतीय राजनीति और समाज में एक नई दिशा का संकेत देता है।

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Sitesh Kant Choudhary
Hello 'Apan Mithilangan' Family. Myself Sitesh Choudhary. I am a journalist.

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