एक बेहद ही स्वादिष्ट फल :वाटर एप्पल या जावा एप्पल या जामरूल

यह म्यारटेसी कुल की प्रजाति है, जो सुंडा द्वीप में उगता है। सामान्य तौर पर, रंग जितना गहरा होता है, उतना ही मीठा होता है।


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एक बेहद ही स्वादिष्ट फल :वाटर एप्पल या जावा एप्पल या जामरूल

वाटर एप्पल एक बेहद ही स्वादिष्ट फल है, जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता होगा |

इसे जामरूल या जावा एप्पल भी कहते हैं। फिलीपींस में मकोपा के नाम से जाना जाता है, जबकि इसका साइंटिफिक नाम syzygium samarangense. है।

हालाँकि, यह सेब की तरह न तो दिखता है और न ही इसका स्वाद सेब की तरह है, मगर इसे सेब कहा जाता है। कोई बात नहीं कस्टर्ड एप्पल (सीताफल) में भी एप्पल जुड़ा हुआ है, वो भी सेब की तरह नहीं दिखता, ना उसका स्वाद सेब की तरह है।

यह म्यारटेसी कुल की प्रजाति है, जो सुंडा द्वीप में उगता है। सामान्य तौर पर, रंग जितना गहरा होता है, उतना ही मीठा होता है।

छत्तीसगढ़ में भी बस्तर के क्षेत्र में इस फल को देखा गया है, परंतु अभी तक वृहत स्तर पर, बड़े पैमाने पर इसकी खेती होते तो नहीं देखा गया है।

वैसे, यह गर्म क्षेत्र का फल है। ऐसे में यह उन क्षेत्रों में नहीं होगा जहां बर्फ पड़ती है। हालाँकि, ऐसे साक्ष्य भी नहीं हैं कि बर्फ में यह नहीं होगा, मगर अभी तक किसी बर्फीले क्षेत्र में इसे उगाया नहीं गया है। यह नाशपाती की तरह दिखने वाला बेहद रसीला फल होता है। सम्भावना है कि छत्तीसगढ़ में भी इसकी खेती हो सकती है।

बायोटेक ने इस प्रजाति को कुछ और विकसित किया है जिससे ताइवान और थाईलैंड का वाटर एप्पल सामान्य की अपेक्षा कुछ बड़ा होता है। थाई वाटर एप्पल अपनी उच्च प्रकार की किस्म के लिए, इस प्रजाति का राजा बन गया है |

यह पौधा लगाने के एक वर्ष बाद ही फल देने लग जाता है। पहले वर्ष पांच से दस किलो तक ही फल आते हैं, जबकि दूसरे वर्ष यह अच्छी उपज देता है। इसमें फल लगभग गुच्छों की तरह लगते हैं। सामान्य रूप से वाटर एप्पल फल का वजन 50  से 60 ग्राम के आसपास रहता है, जबकि थाई वाटर एप्पल का वजन लगभग 100  ग्राम होता है।

यह थैलियों में लगा हुआ प्राप्त हो जाता है, ऐसे में इसे किसी भी महीने लगा सकते हैं।

'जावा सेब' भारत की उपजाऊ मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। यह एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय फल है और 4,000 फुट से कम ऊंचाई पर पनपता है। इसके लिए लंबे शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।

यह बहुत से रंगों में आता है- लाल, गुलाबी, सफ़ेद, हरा, पीला, भूरा। 'जावा सेब' एक ग्रीष्मकालीन फल है, जो मई से जून तक पकता है। इसे लगभग डेढ़ फुट चौड़ा और दो फुट गहरा गड्ढा करके लगाया जा सकता है। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 10 फुट होना जरुरी है।

विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए दुनिया भर के देश इसका उपयोग करते हैं। ताइवान में, स्थानीय लोग दस्त और बुखार से निपटने के लिए जावा सेब के फूलों का उपयोग करते हैं। मलेशिया में, सूखे पत्ते से फटी जीभ और छाल के काढ़े से खुजली और एडिमा का इलाज करते हैं।

पुस्तक के अनुसार, "वार्म क्लाइमेट्स के फल, कम्बोडियन फल, पत्तियों, या बीजों को बुखार निवारक के रूप में मिलाते हैं, और पत्तियों को कुचलकर त्वचा को मुलायम बनाने वाले लोशन के रूप में उपयोग करते हैं। ब्राजीलवासी जावा सेब को सिर दर्द, खांसी, मधुमेह, सर्दी और कब्ज को कम करने की क्षमता के लिए महत्व देते हैं।

हाथ से खाए गए जावा सेब को छीलने की आवश्यकता नहीं होती है। नाशपाती की तरह इसका आनंद लिया जा सकता है। ताइवान में जावा सेब की खेती को बहुत अधिक किया जाता है।वे इसकी खेती पर बहुत गर्व करते हैं, जिसे "काली नाशपाती" कहा जाता है।

Sitesh Choudhary

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Sitesh Choudhary
नमस्कार मैथिल, हम छी सीतेश चौधरी। हम कंटेंट क्रिएटर छी आ डिजिटल एडवर्टाइजमेंट एजेंसीक संचालक सेहो। पत्रकारिता सऽ लगाव सेहो राखैत छी। एहि माध्यमे हमर प्रयासमे समस्त अपन मिथिलांगन परिवारक सहयोग अपेक्षित अछि। धन्यवाद।

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