Amarnath Jha | जानिए कैसे अमरनाथ झा ने हिंदी को दिलवाया राजभाषा का दर्जा!
बिहार के अमरनाथ झा ने हिंदी को दिलवाया था राजभाषा का दर्जा, जानिए यहां इनके बारे में सबकुछ
पटना: शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले महान शिक्षाविद डॉ. अमरनाथ झा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज हम जानेंगे उनकी जीवन यात्रा और उनके अद्वितीय योगदान के बारे में।
अमरनाथ झा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा | Amarnath Jha
- जन्म: 25 फरवरी, 1897 को बिहार के मधुबनी जिले में।
- शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया।
प्रारंभिक शिक्षा
- डॉ. झा की शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में हुई।
- एमए की परीक्षा में ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- उनकी योग्यता को देखते हुए एमए पास करने से पहले ही उन्हें ‘प्रांतीय शिक्षा विभाग’ में अध्यापक नियुक्त कर लिया गया।
अमरनाथ झा का शैक्षणिक योगदान | Amarnath Jha
- अंग्रेजी के विद्वान: अमरनाथ झा ने अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में ख्याति प्राप्त की।
- भाषा ज्ञान: फारसी, संस्कृत, उर्दू, बंगाली और हिंदी भाषाओं के भी अच्छे जानकार थे।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में योगदान | Amarnath Jha
- पद: अंग्रेजी विभाग के प्रमुख और 1938 में विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बने।
- कार्यकाल: 1946 तक इस पद पर बने रहे।
हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलवाने में योगदान | Amarnath Jha
- सुझाव: अमरनाथ झा ने हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
- स्वीकृति: उनके सुझाव को स्वीकार कर हिंदी को ‘राजभाषा’ का दर्जा प्रदान किया गया।
अन्य महत्वपूर्ण पद | Amarnath Jha
- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय: एक वर्ष के लिए वाइस चांसलर।
- लोक लेवा आयोग: उत्तर प्रदेश और बिहार के अध्यक्ष।
विश्वविद्यालयों में उन्नति | Amarnath Jha
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय: उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने उन्नति की और देश के प्रमुख शिक्षा संस्थानों में शामिल हुआ।
- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय: भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
साहित्यिक और अंतर्राष्ट्रीय योगदान | Amarnath Jha
- साहित्य में जुनून: अमरनाथ झा के पास बड़ी संख्या में पुस्तकें थीं जो उनके जीवन का अटूट हिस्सा थीं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व: उन्होंने अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
सम्मान और पुरस्कार | Amarnath Jha
- डी.लिट: पटना विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की उपाधि प्रदान की।
- पद्मभूषण: 1954 में शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
अंतिम समय और विरासत | Amarnath Jha
- मृत्यु: 2 सितंबर, 1955 को उनका निधन हुआ।
- विरासत: उनका योगदान आज भी शिक्षा और भाषा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
“अमरनाथ झा ने अपनी विद्वता और समर्पण से शिक्षा और भाषा के क्षेत्र में अनमोल योगदान दिया। उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।”
Follow Us On Facebook || Subscribe Us On Youtube || Find Us On Instagram ||
Check Us On Pinterest || Follow Us On X (Tweeter)
विशेष जानकारी लेल संपर्क करू
0 Comments