Bihar reservation law | सुप्रीम कोर्ट ने पटना HC के फैसले को क्यों चुनौती दी?
नई दिल्ली: 12 जुलाई 2024, सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। यह आदेश बिहार के उस कानून को खारिज करता है, जो आरक्षित वर्गों के लिए रिजर्वेशन को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था।
पटना हाई कोर्ट का निर्णय | Bihar reservation law
20 जून को, पटना हाई कोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार द्वारा पास किए गए उस कानून को रद्द कर दिया, जिसने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों के लिए रिजर्वेशन बढ़ाने को वैध ठहराया था। यह संशोधन पिछले साल नवंबर में राज्य की द्व chambers विधानमंडल द्वारा सर्वसम्मति से पास किया गया था।
- कानून का पारित होना:
- नीतीश कुमार सरकार द्वारा राज्य में एक सर्वेक्षण के बाद यह रिजर्वेशन बढ़ाया गया।
- सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों की जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग दो तिहाई है।
सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई | Bihar reservation law
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सितंबर के लिए सूचीबद्ध की है।
1992 इंदिरा सवहनि बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामला | Bihar reservation law
पटना हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में 50 प्रतिशत की रिजर्वेशन सीमा को लागू किया है।
- कानूनी संदर्भ:
- 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा सवहनि बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में 50 प्रतिशत की सीमा निर्धारित की थी।
- इस निर्णय ने रिजर्वेशन को 50 प्रतिशत सीटों तक सीमित करने का उद्देश्य ‘प्रशासनिक दक्षता’ को सुनिश्चित करना था।
अधिकांश निर्णय: | Bihar reservation law
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
- कोर्ट ने 27 प्रतिशत रिजर्वेशन को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लिए मान्यता दी।
- सोशल और एजुकेशनल बैकवर्डनेस को रिजर्वेशन के मानदंड के रूप में मान्यता दी।
- 50 प्रतिशत की सीमा को पहले के निर्णयों (M R Balaji बनाम राज्य कर्नाटका, 1963, और देवदासन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, 1964) के तहत दोहराया।
लोकसभा चुनाव 2024 में रिजर्वेशन की राजनीति | Bihar reservation law
- राहुल गांधी का वादा:
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में जनसंख्या के आधार पर रिजर्वेशन देने का वादा किया।
- इस वादे ने भाजपा और विपक्ष के बीच बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया।
निष्कर्ष | Bihar reservation law
पटना हाई कोर्ट का निर्णय और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, बिहार के रिजर्वेशन कानून को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह निर्णय न केवल बिहार में, बल्कि पूरे देश में रिजर्वेशन की राजनीति पर प्रभाव डाल सकता है।
तालिका: रिजर्वेशन सीमाओं का अवलोकन | Bihar reservation law
वर्ष | मामला | रिजर्वेशन प्रतिशत | विशेषताएँ |
---|---|---|---|
1963 | M R Balaji बनाम राज्य कर्नाटका | 50% | आरक्षित श्रेणियों की सीमा |
1964 | देवदासन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया | 50% | सीधी भर्ती के लिए सीमा |
1992 | इंदिरा सवहनि बनाम यूनियन ऑफ इंडिया | 50% | सामाजिक और आर्थिक पिछड़े वर्ग |
उद्धरण:
“50 प्रतिशत की सीमा प्रशासनिक दक्षता को सुनिश्चित करती है और सामाजिक न्याय को बनाए रखने का प्रयास करती है।” – सुप्रीम कोर्ट
Sitesh Choudhary
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