कार्बन न्यूट्रल स्टेट बनाने की दिशा में ‘Climate-Resilient and Low-Carbon Development Pathway for Bihar’ प्रोजेक्ट के तहत दरभंगा प्रमण्डल में आयोजित किया गया कार्यशाला
दरभंगा, बिहार : 16 जुलाई, 2024 : समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर सभागार में कार्बन न्यूट्रल स्टेट बनाने की दिशा में ‘Climate-Resilient and Low-Carbon Development Pathway for Bihar’ प्रोजेक्ट के तहत वर्कशॉप कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित अपर समाहर्ता सिविल सर्जन, निदेशक डीआरडीए, उप निदेशक आईपीआरडी के कर कमलों से किया गया।
कार्यशाला की विस्तृत जानकारी संचार प्रबंधक पियूष त्रिपाठी, प्रबंधक क्लाइमेट शशिधर कुमार झा एवं प्रोग्राम प्रबंधक मणि भूषण कुमार झा द्वारा दिया गया।
जलवायु परिवर्तन द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों और अवसरों को बिहार राज्य के निवासियों को बताना है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा तैयार की गई 'द' क्लाइमेट वलनरेबिलिटी एसेसमेंट रिपोर्ट फॉर अडाप्टेशन प्लैनिंग इन इंडिया' से ज्ञात होता है कि भारत में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से सबसे ज्यादा संवेदनशील 50 जिलों में से 14 ज़िले बिहार में स्थित है।
बिहार राज्य अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से घिरा है, ऐसे में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि यह राज्य अपने आर्थिक विकास की कार्ययोजना में जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन के पहलू को भी शामिल किया जाय।
साथ ही साथ, बिहार की वर्तमान स्थिति और उसके आर्थिक विकास की दिशा राज्य के सामने रोजगार और समृद्धि का एक न्यून कार्बनयुक्त मॉडल बनाने का अवसर भी प्रदान करती है। एक ऐसा अवसर जिसमें नई प्रौद्योगिकी और नये आर्थिक प्रतिमान का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो। साथ ही, बिहार के पर्यावरण और राज्य में रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए सह लाभ भी प्राप्त हो।
उपरोक्त सन्दर्भ में वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन वाला देश बनने के भारत के लक्ष्य में योगदान के प्रति बिहार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
पिछले ढाई वर्षों के दौरान बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद (बीएसपीसीबी) ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और डब्ल्यूआरआई इंडिया तथा अन्य संबंधित संगठनों की तकनीकी सहायता से 20 से अधिक विभागों से जानकारी एकत्रित की है, साथ ही इस दौरान सभी 38 जिलों का दौरा किया एवं सम्पूर्ण प्रदेश में 350 से अधिक बैठकें आयोजित की तथा हितधारकों के साथ 30 परामर्श कार्यक्रमों का आयोजन किया।
बिहार के लिए एक दीर्घकालिक राज्य स्तरीय रणनीति दस्तावेज तैयार किया गया। 'क्लाइमेट रेसिलियंट एंड लो कार्बन डेवलपमेंट पाथ वे फॉर बिहार' (बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति) शीर्षक वाले इस दस्तावेज में अनुकूलन और शमन दोनों ही उपायों को जोड़कर राज्य में जलवायु संरक्षण से संबंधित प्रयास प्रस्तावित किए गए हैं ।
उन्होंने कहा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 04 मार्च 2024 को यह रिपोर्ट का विमोचन किया। इसके अलावा डब्ल्यू आर आई इंडिया विभिन्न क्षेत्रों के लिए इस रिपोर्ट में चिह्नित की गई रणनीतियों को लागू करने में राज्य सरकार का सहयोग है।
पहले प्रयास के तौर पर दरभंगा प्रमंडल स्तरीय प्रसार कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, ताकि स्थानीय हितधारकों को रणनीति के बारे में संवेदित किया जाए, क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों की पहचान की जाए तथा उनके समाधान के रास्तों पर विचार विमर्श किया जा सके।
यह कार्यशालाएं बिहार के सभी 09 प्रमंडल में आयोजित की जाएंगी और इनमें सार्वजनिक सत्र भी शामिल हुए।
शासकीय अधिकारियों, अर्द्ध शासकीय संस्थाएं, शोध संस्थानों, सिविल सोसाइटी संगठनों, स्थानीय गैर शासकीय संगठनों, विषय से जुड़े प्रसिद्ध विशेषज्ञों और जन सामान्य समेत विभिन्न हितधारकों को इससे जोड़ा जाए।
उन्होंने कहा कि प्रसार कार्यशालाओं के उद्देश्य सूचनाओं का प्रसार: बिहार में जलवायु के प्रति अनुकूल और न्यून कार्बन उत्सर्जन वाले विकास से सम्बन्धित अंतर्दृष्टि, शोध के निष्कर्ष और सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को साझा करना।हितधारक / समुदाय को जोड़ना: नीतिनिर्धारकों,शासकीय अधिकारियों और निजी क्षेत्र समेत विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय और साझेदारी को बढ़ावा देना और जलवायु सम्बन्धी कार्य और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिये स्थानीय समुदायों को सक्षम बनाना।
उन्होंने कहा जागरूकता निर्माण: हेतु जलवायु परिवर्तन के प्रभावों,अनुकूलन और शमन की रणनीतियों और उनके महत्व के बारे में प्रतिभागियों को सूचित कर उनकी क्षमता विकसित करना
प्रतिपुष्टि और जानकारी: बिहार की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप स्थानीय विकास योजनाओं को बेहतर बनाने और अनुकूलित करने के लिए हितधारकों से उनकी प्रतिपुष्टि प्राप्त करना।
स्थानीयकृत कार्य योजनाएं: बिहार की क्षेत्रीय विविधताओं को देखते हुए प्रमंडल और जिलों के लिये स्थानीय स्तर पर जलवायु संरक्षण योजनाएं बनाने में सहयोग प्रदान करना।
मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण: बिहार में जलवायु संरक्षण सम्बन्धित किए जा रहे कार्यों की प्रगति और उनके प्रभाव का मूल्यांकन करने हेतु आवश्यक रूपरेखा पर चर्चा करना ।
नेटवर्किंग और समन्वय: हितधारकों को जुड़ने, अनुभव साझा करने और जलवायु के प्रति अनुकूलन तथा न्यून कार्बन उत्सर्जन वाले विकास से संबंधित संयुक्त पहलों की तलाश करने के अवसर प्रदान करना ।
साझेदारी और वित्तपोषण: बिहार में जलवायु परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण के सम्भावित स्रोतों और साझेदारी के अवसरों के बारे में सूचना उपलब्ध कराना ।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बिहार में हितधारकों को जलवायु परिवर्तन संबन्धित जानकारी देना, उनसे जुड़ना, सशक्त करना और संगठित करना है। एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य विद्यानाथ झा द्वारा बताया गया कि मखाना की खेती दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, पूर्णिया, सुपौल, किशनगंज आदि जिलों में की जाती है।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन उप निदेशक जन-संपर्क सत्येंद्र प्रसाद द्वारा किया गया। उन्होंने आगत अतिथियों का समय देने और कार्बन उत्सर्जन के बारे में जागरूक करने के लिए टीम को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के पश्चात समाहरणालय परिसर में पौधारोपण किया गया।
कार्यशाला में डीआरडीए निदेशक पवन कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी श्री प्रकाश, सिविल सर्जन दरभंगा एवं समस्तीपुर, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी , प्रशिक्षु सहायक निदेशक जिला जन-संपर्क पदाधिकारी संजय कुमार एवं अन्य संबंधित अधिकारी गण उपस्थित थे।
Sitesh Choudhary
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