bajjika geet – छठी मईया सुतले अटरिया/chhath Geet 2.0/Bajjika geet
vocal- Chandani chandra
Music- sushant Dev
Mix Master- prem raj
आज से छठी मइया के पावन पर्व शुरू हो गेल।त इ महापर्व पर सुनू छठी मइया के संझा गीत जे हमनी के क्षेत्रीय भाषा बज्जिका में बा।
भारत का अतीत गौरवशाली रहा है और इस गौरवशाली इतिहास में बिहार का प्रमुख स्थान रहा है। इस बिहार में भी बज्जिकांचल अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों और विशेषताओं के कारण श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता रहा है ।यहां भगवान महावीर ने जन्म लिया और भगवान बुद्ध को भी यह क्षेत्र परमप्रिय था। विश्व में सर्वप्रथम राज्य -व्यवस्था यहीं जन्मी, फूली और फली।
लोकगीत जनसामान्य की मनोभावनाओं, यथा -हर्ष, उत्साह, दुःख-दैन्य आदि को उजागर करने का माध्यम है। यह सदैव अपने क्षेत्र -विशेष की सांस्कृतिक चेतना से परिचय करवाता है और साथ ही उसे सजीव बनाये रखने में बड़ी भूमिका निभाता है। वैसे तो लोकगीत मुख्य रूप से संस्कार-गीत है, किन्तु बज्जिका लोकगीत संस्कार, पर्व -त्योहार, ऋतु, शृंगार और नृत्य जैसे सभी इन्द्रधनुषी रंगों में मिलते हैं।
कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को बिहार के अन्य अंचलों की तरह बज्जिकांचल में भी लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान भास्कर के साथ -साथ छठी मइया की भी पूजा होती है। शायद यह एकमात्र पर्व है, जिसमें उदीयमान एवं अस्ताचलगामी -दोनों ही स्थितियों के सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।यह पर्व दो दिन पूर्व से ही प्रारंभ हो जाता है। चतुर्थी को विवाहित महिलाएं व्रत का आरंभ करती हैं। इसे ‘नहाय -खाय ‘कहते हैं ।पंचमी को वे व्रत रखती हैं और भर दिन उपवास करके शाम में छठी मइया के पूजनोपरांत वे खीर -रोटी का प्रसाद ग्रहण करतीं हैं। इसको ‘खरना ‘कहते हैं । षष्ठी की शाम को वे किसी नदी या तालाब के किनारे जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं। पुनः कल, सप्तमी को उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। इस पर्व में मुख्यतः केला, ठकुआ, नारियल और मौसमी फलों से सूर्य की उपासना की जाती है।
इ गीत पर अपन ढेर सारा प्यार -दुलार बरसाऊ और घर-परिवार, सखी- रिश्तेदार के भी सुनाऊ।
#मुजफ्फरपुर
#बिहार”
🙏जय हो छठी मइया के 🙏
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छठी मईया सुतले अटरिया/chhath Geet 2.0/Bajjika geet – bajjika geet
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