अलसी या तीसी: स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण फसल।

अलसी अत्यंत उपयोगी एवं आयुर्वेदिक पौधा है। इसका बीज बहुत ही उपयोगी होता है। मिथिलांचल में अलसी को तीसी नाम से जाना जाता है।


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अलसी या तीसी: स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण फसल है।

हरित क्रांति से पहले तीसी के तेल का खूब चलन था। आमतौर पर घरों में नमकीन व्यंजन तीसी के तेल में ही बनाए जाते थे। 

पर्व त्योहारों के समय तीसी के तेल पर प्रतिबंध होता था इसके कई सारे धार्मिक कारण थे उस दौरान सरसों के तेल में पकवान बनता था। 

जिन लोगों का कनेक्शन ग्रामीण इलाकों से है, वह बेहतर जानते हैं कि तीसी के तेल में बनने वाले उड़द के पकौड़े का क्या स्वाद रहा होगा। 

तीसी की खेती रबी के मौसम में ही होती है अब कुछ इलाकों तक इसकी खेती सीमित हो गई है। हमारे इलाके में गेहूं-मक्के की फसल में खेत के किनारे-किनारे धारी में तीसी होती थी। जिन खेतों में सालों भर जल जमाव रहता, नवंबर-दिसंबर के महीने में जब पानी कम होता तो उन इलाकों में भी तीसी की खेती होती थी। 

तीसी के फूल काफी आकर्षक होते हैं जब तीसी गोलाकार होने लगता है तो बच्चों के लिए खिलौना बन जाता है। लट्टू के समान तीसी गोलाकार और नुकीला हो जाता है, जो बच्चों के घूमाने पर लट्टू की तरह गोल-गोल घूमता है।

तीसी का उपयोग अब तेल के रूप में नाममात्र का ही होता है, क्योंकि उपज भी पहले जैसी नहीं होती। उत्तर बिहार में पारंपरिक रूप से खेती करने वाले किसानों ने इस फसल को जरूर बचा रखा है। इसका बीज बहुत ही उपयोगी होता है, जिससे तेल निकालने के साथ-साथ अन्य व्यंजन भी बनाये जाते हैं। 

अप्रैल के महीने में तीसी की फसल पककर तैयार होती है और इससे बनने वाला सबसे स्वादिष्ट व्यंजन होता है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में तिसियौरी कहते है। उड़द के बेसन में मिले हुए तीसी के बीज को सुखाकर तिसियौरी बनाई जाती है, जो मिथिला के लोगों के भोजन का एक महत्वपूर्ण पूरक है। 

मिथिलांचल में तीसी को भुनकर उसका पाऊडर बनाकर बंद डिब्बे में रख लिया जाता है। कद्दू के साथ तीसी का भुना पाऊडर मिलाकर इतनी स्वादिष्ट सब्जी बनती है कि क्या कहने।

तीसी के भुने हुए पाऊडर में कच्चे प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े, हरी मिर्च के छोटे-छोटे टुकड़े मिलाकर और उसमें नींबू निचोड़कर जो चटनी बनती है और गरम-गरम तवा रोटी के साथ खाने पर जो आनन्द आता है, वह किसी भी चाईनिज फूड में तो बिल्कुल नहीं आ पाता।

एक और खास व्यंजन, जो भुने हुए तीसी से तैयार होता है, जिसमें तीसी को भून कर उसका सुखा पेस्ट तैयार कर लिया जाता है और चावल के साथ खाया जाता है। ग्रामीण इलाकों में यह दाल का विशेष ऑप्शन होता है, जो घर-घर में उपलब्ध होता है 

सावन के महीने में भुने हुए तीसी और महुआ से जो लठ्ठा तैयार होता है, वह भी बेहद खास होता है माना जाता है, इससे शरीर का दर्द कम हो जाता है और कई बीमारियों से निजात भी मिलता है। 

हृदयरोग एवं उच्चताप के लोगों के लिए भी तीसी एक महत्वपूर्ण फसल है।

अब बाजार में फ्लेक्स सीड के नाम से तीसी कई बड़ी कंपनियां बाजार में उपलब्ध करवा रही है

Sitesh Choudhary

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