Krishna Janmashtami Celebration | जेलर ने बांसुरी बजाकर कैदियों का दिल जीत लिया!
कैदियों ने जेल में धूमधाम से मनाई श्री कृष्ण जन्माष्टमी
मुख्य बातें:
- श्री कृष्ण जन्मोत्सव: मोहन सरकार के निर्देशानुसार राज्यभर में धूमधाम से मनाया गया।
- खाचरोद उपजेल: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व जेल में उत्साहपूर्वक मनाया गया।
- मुख्य अतिथि: माँ बगलामुखी शक्ति पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णानंदजी महाराज उपस्थित रहे।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन | Krishna Janmashtami Celebration
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार के निर्देश पर राज्यभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन धूमधाम से किया गया। इसी कड़ी में खाचरोद की उपजेल चोकी में कैदियों ने भी उत्साहपूर्वक श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया। जेल में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माँ बगलामुखी शक्ति पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णानंदजी महाराज और आवधुत सुभाषानंदजी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। क्षेत्र के सरपंच भी इस मौके पर मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत | Krishna Janmashtami Celebration
कार्यक्रम की शुरुआत कैदियों के बीच श्री कृष्ण जन्म के महत्व और उद्देश्य पर स्वामी कृष्णानंदजी महाराज के विचारों से हुई। स्वामीजी ने कहा, “कृष्ण जन्म का समय नहीं था, ये समय का जन्म हुआ था।” उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण का जीवन समग्रता और परिपूर्णता का प्रतीक है। श्री कृष्ण जीवन के हर पहलू में परिपूर्णता का उदाहरण हैं, चाहे वह क्रांति हो या शांति, शस्त्र हो या शास्त्र।
कैदियों के लिए विशेष आयोजन | Krishna Janmashtami Celebration
कैदियों के लिए मटकी फोड़ और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने श्री कृष्ण और राधा के रूप में सजधज कर मटकी फोड़ कार्यक्रम की शुरुआत की। कैदियों ने भी इस आयोजन में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
जेलर राणावत की प्रस्तुति | Krishna Janmashtami Celebration
जेलर सुरेन्द्र सिंह राणावत ने जेल में बांसुरी बजाकर सभी का मन मोह लिया। उनकी बांसुरी की धुन से पूरा माहौल कृष्णमय हो गया। कैदियों और जेल स्टाफ ने इस कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया और स्वामीजी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
स्वामी कृष्णानंदजी महाराज का संदेश | Krishna Janmashtami Celebration
स्वामी कृष्णानंदजी महाराज ने कहा, “भगवान श्री कृष्ण जब जिये, जहाँ जिये और जितना जिये, पूर्ण होकर ही जिये। उनके जीवन की विलक्षणता यही है कि उन्होंने जब भी किया, जो भी किया, समग्रता के साथ परिपूर्ण किया। वस्तुत: जीवन की समग्रता और परिपूर्णता का नाम ही श्री कृष्ण है।”
उन्होंने आगे कहा, “प्रत्येक कार्य की स्वीकारोक्ति, कार्य कुशलता, और कार्य निपुणता के साथ जीवन में समग्रता और परिपूर्णता की भावना का पालन करना, वर्तमान समय में श्री कृष्ण के जीवन की सबसे प्रधान शिक्षा है।”
जेलर और स्टाफ का सहयोग | Krishna Janmashtami Celebration
जेलर सुरेन्द्र सिंह राणावत और उनके स्टाफ ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया।
आध्यात्मिक शिक्षा और कैदियों का जीवन | Krishna Janmashtami Celebration
स्वामीजी ने कैदियों को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी और कहा कि श्री कृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि हम अपने जीवन में समग्रता और परिपूर्णता को कैसे शामिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “श्रीकृष्ण जन्म का समय नहीं, यह तो समय का जन्म हुआ था। श्रीकृष्ण जीवन की समग्रता और परिपूर्णता का प्रतीक हैं।”
निष्कर्ष | Krishna Janmashtami Celebration
इस आयोजन ने जेल के कैदियों के जीवन में एक नई आशा और सकारात्मकता का संचार किया। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। जेलर राणावत और उनके स्टाफ के प्रयासों से इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
Quotes: “भगवान श्री कृष्ण जब जिये, जहाँ जिये और जितना जिये, पूर्ण होकर ही जिये।” – स्वामी कृष्णानंदजी महाराज
“कृष्ण जन्म का समय नहीं था, ये समय का जन्म हुआ था।” – स्वामी कृष्णानंदजी महाराज
तालिका:
घटना | विवरण |
---|---|
मुख्य अतिथि | स्वामी कृष्णानंदजी महाराज |
विशेष अतिथि | आवधुत सुभाषानंदजी |
मुख्य कार्यक्रम | मटकी फोड़, भजन-कीर्तन |
जेलर की प्रस्तुति | बांसुरी वादन |
समारोह की समाप्ति | स्वामीजी के आशीर्वचन और आध्यात्मिक संदेश |
इस प्रकार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह आयोजन खाचरोद की उपजेल में कैदियों के लिए एक विशेष और यादगार अनुभव बना।
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