Raksha Bandhan Festival | झांसी: राजनीति की भेंट चढ़ा रक्षाबंधन महोत्सव!
रक्षाबंधन महोत्सव पर प्रशासन की रोक: क्या है पूरा मामला?
रक्षाबंधन महोत्सव कार्यक्रम हुआ स्थगित: प्रशासन की अनुमति न मिलने से निराशा
झांसी, उत्तर प्रदेश के कसवा गुरसरांय में 21 अगस्त को आयोजित होने वाला रक्षाबंधन महोत्सव प्रशासन की अनुमति न मिलने के कारण स्थगित कर दिया गया है। इस कार्यक्रम में 1100 बहनों के साथ उत्सव मनाने की योजना थी, जिसे पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव और स्थानीय सामाजिक संगठनों के सहयोग से आयोजित किया जा रहा था।
प्रशासनिक अड़चनें और रोष | Raksha Bandhan Festival
मंगलवार को पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव ने इस मुद्दे पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा:
- “हम 15-20 वर्षों से यह कार्यक्रम लगातार मनाते आ रहे हैं, लेकिन इस बार प्रशासनिक अनुमति न मिलने के कारण हमें इसे स्थगित करना पड़ा है।”
- “यह निर्णय राजनीति के दबाव में लिया गया है, जिससे लोगों में भारी रोष है।”
क्या था आयोजन का मकसद? | Raksha Bandhan Festival
रक्षाबंधन महोत्सव का आयोजन झांसी के गुरसरांय कसवा में बड़े धूमधाम से करने की योजना थी। कार्यक्रम में 1100 बहनों के साथ राखी बांधने का आयोजन था। इस आयोजन का उद्देश्य समाज में भाईचारे और समर्पण की भावना को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम के मुख्य बिंदु:
- तिथि: 21 अगस्त 2024, बुधवार
- स्थान: गुरसरांय, झांसी
- मुख्य अतिथि: पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव
- उद्देश्य: समाज में समर्पण और भाईचारे की भावना को मजबूत करना
प्रशासनिक निर्णय और उसके प्रभाव | Raksha Bandhan Festival
प्रशासन ने इस कार्यक्रम की अनुमति देने से इंकार कर दिया। प्रशासन ने भारत बंद का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के बड़े आयोजन से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
प्रशासन का पक्ष:
- अनुमति न देने का कारण: भारत बंद के चलते कानून-व्यवस्था की चिंता
- स्थगन का परिणाम: कार्यक्रम को निरस्त कर दिया गया
स्थगन के बाद: कार्यकर्ताओं की नई योजना
हालांकि, इस निर्णय के बाद भी पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव और उनके कार्यकर्ताओं ने इस पर्व को अलग तरीके से मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा:
- “हम घर-घर जाकर बहनों से राखी बंधवाकर इस पर्व को मनाएंगे, ताकि कोई बहन इस निर्णय से दुखी न हो सके।”
समाज में गुस्सा और राजनीतिक विवाद | Raksha Bandhan Festival
स्थानीय लोग और आयोजन में भाग लेने वाली बहनों में इस निर्णय के प्रति भारी रोष है। यह आयोजन पिछले 15-20 वर्षों से निरंतर होता आ रहा है, लेकिन इस बार राजनीति के कारण इसे रद्द कर दिया गया।
स्थानीय प्रतिक्रियाएं:
- बहनों का रोष: आयोजन स्थगित होने से बहनों में निराशा
- सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया: प्रशासनिक निर्णय पर सवाल
राजनीति का हस्तक्षेप?
दीपनारायण सिंह यादव ने प्रशासन के इस निर्णय को “राजनीतिक दबाव” का परिणाम बताया। उन्होंने कहा:
- “यह गंदी राजनीति का हिस्सा है, जिससे समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है।”
रक्षाबंधन महोत्सव का महत्व | Raksha Bandhan Festival
रक्षाबंधन भाई और बहन के बीच प्यार, समर्पण और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है। यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जहां बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे उनकी सुरक्षा का वचन लेती हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- रक्षा का प्रतीक: भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला त्योहार
- समर्पण का पर्व: समाज में प्रेम और समर्पण की भावना को बढ़ावा देना
भविष्य की योजनाएं और कार्यकर्ताओं का संकल्प | Raksha Bandhan Festival
दीपनारायण सिंह यादव और उनके कार्यकर्ताओं ने इस बार घर-घर जाकर रक्षाबंधन मनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि:
- “जिस प्रकार से कोरोना काल में घर-घर जाकर राखी बांधी गई थी, इस बार भी उसी प्रकार से रक्षाबंधन मनाया जाएगा।”
निष्कर्ष | Raksha Bandhan Festival
प्रशासनिक अड़चनों के कारण स्थगित हुआ रक्षाबंधन महोत्सव समाज में एक विवाद का विषय बन गया है। जहां एक ओर आयोजन समिति और स्थानीय लोग इस निर्णय से नाराज़ हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था की दृष्टि से सही ठहराया है।
इस घटना ने समाज में राजनीति और प्रशासन के बीच की खाई को उजागर कर दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
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