Shriprakash Shukla Ransom Case | लखनऊ में 5 करोड़ की फिरौती! जानिए कैसे वसूली गई?

Shriprakash Shukla Ransom Case | श्रीप्रकाश शुक्ला की लखनऊ में 5 करोड़ की रंगदारी वसूली की रहस्यमयी कहानी, पीसीओ का उपयोग, और एसटीएफ की चुनौतियों का रोमांचक विवरण।


Shriprakash Shukla Ransom Case

Shriprakash Shukla Ransom Case | पीसीओ से 5 करोड़ की रंगदारी वसूली, चौंकाने वाली सच्चाई!

लखनऊ में अपराध की दुनिया के चर्चित नाम श्रीप्रकाश शुक्ला ने एक बार फिर अपनी चालाकियों से सभी को चौंका दिया। इस बार मामला था एक महत्वपूर्ण रंगदारी के वसूली का, जिसकी रकम 5 करोड़ रुपये थी।

रंगदारी की तगड़ी मांग | Shriprakash Shukla Ransom Case

  • मुख्य विषय: श्रीप्रकाश शुक्ला ने लखनऊ में 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी।
  • पार्श्वभूमि: इस रंगदारी की वसूली का तरीका और इसका पीसीओ (पब्लिक कॉल ऑफिस) से कनेक्शन।

पीसीओ का रहस्यमय कनेक्शन | Shriprakash Shukla Ransom Case

श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने काले कारनामों में पीसीओ का इस्तेमाल किया। हालांकि, मोबाइल फोन का चलन उस समय बढ़ रहा था, लेकिन उन्होंने पीसीओ का उपयोग रंगदारी के लिए किया।

  • स्रोत: पटना म्यूजियम के पास स्थित एक पीसीओ।
  • सिद्धांत: पीसीओ का इस्तेमाल श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा नाम छिपाने और अपने शिकार को धोखा देने के लिए किया गया।
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मोबाइल फोन और पहचान | Shriprakash Shukla Ransom Case

श्रीप्रकाश शुक्ला ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी किया, लेकिन उन्होंने अपने असली नाम की बजाय ‘अशोक सिंह’ का नाम इस्तेमाल किया।

  • प्रस्तावना: यह तरीका उनके लिए अनजान लोगों को आसानी से झांसा देने का था।
  • उदाहरण: भाजपा नेता से रंगदारी की मांग करने की कहानी।

एसटीएफ की मुश्किलें | Shriprakash Shukla Ransom Case

एसटीएफ ने कई बार श्रीप्रकाश शुक्ला का पीछा किया, लेकिन उनकी चतुराई और साहसिकता ने पुलिस को कई बार असफल किया।

  • एसटीएफ की रणनीतियाँ:
    • मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर: श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ संबंध रखने वाले गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर।
    • सर्विलांस समस्याएँ: कई बार श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपनी जगह बदलकर पुलिस को भ्रमित किया।

रंगदारी का तरीका | Shriprakash Shukla Ransom Case

रंगदारी के लिए श्रीप्रकाश शुक्ला ने जो तरीका अपनाया, उसमें पीसीओ का उपयोग प्रमुख था।

  • विज्ञापन: रंगदारी के लिए कॉल करते समय वह कभी अपने असली नाम की बजाय ‘अशोक सिंह’ का इस्तेमाल करता था।
  • साक्षात्कार: रंगदारी के लिए शिकार से बात करने का तरीका।
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जिंदा बच्चे की गवाही | Shriprakash Shukla Ransom Case

रंगदारी के मामले में श्रीप्रकाश शुक्ला ने एक अनोखा तरीका अपनाया, जिससे बच्चे के जिंदा होने की गवाही दी।

  • विवरण: काठमांडू से एक अखबार के जरिए बच्चे के जीवित होने की पुष्टि।
  • विधि: बच्चे की तस्वीर को अखबार में छपवाकर फैक्स किया गया।

एसटीएफ और तस्वीर का रहस्य | Shriprakash Shukla Ransom Case

श्रीप्रकाश शुक्ला के खिलाफ चल रही जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब एसटीएफ को उसकी एक तस्वीर मिली।

  • स्रोत: बहन के घर से मिली तस्वीर।
  • नतीजा: तस्वीर ने एसटीएफ को श्रीप्रकाश शुक्ला का असली चेहरा पहचानने में मदद की।

निष्कर्ष | Shriprakash Shukla Ransom Case

श्रीप्रकाश शुक्ला की अपराध की दुनिया में अपनी चतुराई और अद्वितीय तरीकों से न केवल पुलिस को चकमा दिया, बल्कि अपराध की नई ऊचाइयों तक भी पहुँचाया। उनके खिलाफ चल रही जांच और उनकी क्रूरता की कहानियाँ आज भी लखनऊ में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

  • उपसंहार: श्रीप्रकाश शुक्ला की काहानी अपराध की दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि चतुराई और धूर्तता से कानून व्यवस्था को भी चुनौती दी जा सकती है।

इस तरह, श्रीप्रकाश शुक्ला की कहानी न केवल अपराध की दुनिया के लिए बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक बड़ा सबक है।

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Sitesh Kant Choudhary
Hello 'Apan Mithilangan' Family. Myself Sitesh Choudhary. I am a journalist.

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