Bangladesh Coup | लोकसभा में हंगामा: मनोज झा ने क्या कहा बांग्लादेश पर?
सारांश
हाल ही में, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट की घटनाओं के बीच, भारत के सांसद मनोज झा ने लोकसभा में एक महत्वपूर्ण भाषण दिया। इस भाषण में, उन्होंने आर्थिक नीतियों, जातिगत जनगणना, और सामाजिक सुधारों पर अपने विचार रखे। उनके विचार और सुझाव न केवल बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए, बल्कि भारत की सामाजिक-आर्थिक नीतियों पर भी केंद्रित थे।
मुख्य बिंदु | Bangladesh Coup
- आर्थिक अस्थिरता और तख्तापलट
- मनोज झा ने बांग्लादेश में तख्तापलट के संदर्भ में चर्चा की।
- उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रगति में असफल लोगों ने सत्ता बदलने का प्रयास किया।
- आर्थिक नीतियों पर सुझाव
- झा ने बजट के बारे में अपने विचार साझा किए।
- उन्होंने आर्टिकल 39 की सिफारिश की और सुपर रिच पर टैक्स लगाने की बात की।
- जातिगत जनगणना की आवश्यकता
- झा ने जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर जोर दिया।
- इसके माध्यम से समाज की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा और बजट की योजना में सुधार होगा।
- कृषि और ग्रामीण विकास
- झा ने छोटे किसान और भूमिहीन मजदूरों की प्राथमिकता की बात की।
- उन्होंने इंटर्नशिप कार्यक्रम की आलोचना की और मनरेगा के बजट को बढ़ाने की मांग की।
- लेबर और रोजगार
- संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
- एमएसएमई के माइक्रो और स्मॉल सेक्टर पर ध्यान देने की बात की।
- अन्य मुद्दे
- झा ने रेलवे में कुलियों के समायोजन की मांग की।
- कश्मीर के सेफ्रॉन के मुद्दे पर भी टिप्पणी की।
बांग्लादेश में तख्तापलट | Bangladesh Coup
बांग्लादेश में हाल ही में राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट की घटनाएं सामने आई हैं। इस संदर्भ में, मनोज झा ने लोकसभा में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा:
“जो लोग आर्थिक प्रगति में अपना चेहरा नहीं ढूंढ पाए, वे सड़कों पर उतर आए और सत्ता बदल दी।”
झा ने बांग्लादेश की स्थिति को भारत के सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य से जोड़ा और इसके प्रभावों पर चर्चा की।
आर्थिक नीतियों पर मनोज झा के सुझाव | Bangladesh Coup
मनोज झा ने बजट पर अपनी टिप्पणियों में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला:
- आर्टिकल 39 का उल्लेख
- “बजट बनाते समय आर्टिकल 39 सब-क्लॉज़ सी के बिना इसे लागू नहीं करना चाहिए।”
- सुपर रिच पर टैक्स
- “हमारे देश में 10% लोग 78% संपत्ति पर अधिकार रखते हैं। हमें एक प्रावधान बनाना चाहिए ताकि सुपर रिच पर टैक्स लगाया जा सके।”
- जातिगत जनगणना की मांग
- “पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग है। इससे हमें समाज की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा और बजट प्रभावी होगा।”
कृषि और ग्रामीण विकास | Bangladesh Coup
मनोज झा ने कृषि और ग्रामीण विकास पर जोर देते हुए निम्नलिखित बिंदुओं को उठाया:
- छोटे किसान और भूमिहीन मजदूर
- “छोटे जोत का किसान और भूमिहीन मजदूर हमारी प्राथमिकता में आने चाहिए।”
- इंटर्नशिप कार्यक्रम की आलोचना
- “इंटर्नशिप का न्यूनतम वेतन 5000 रुपये प्रति माह है, जो न्यूनतम मजदूरी से बहुत कम है।”
- मनरेगा के बजट में कमी
- “मनरेगा के लिए आवंटित बजट में कमी की जा रही है, जिससे मांग, एसेट निर्माण, और पेमेंट डिले हो सकते हैं।”
लेबर और रोजगार के मुद्दे | Bangladesh Coup
मनोज झा ने रोजगार की स्थिति पर भी विचार किए:
- संगठित क्षेत्र में रोजगार
- “संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति सैचुरेशन पर है।”
- एमएसएमई सेक्टर
- “माइक्रो और स्मॉल एमएसएमई सेक्टर पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।”
अन्य मुद्दे | Bangladesh Coup
मनोज झा ने रेलवे और कश्मीर के मुद्दों पर भी चर्चा की:
- रेलवे में कुलियों के समायोजन
- “रेलवे के किसी विभाग में कुलियों के समायोजन की व्यवस्था होनी चाहिए।”
- कश्मीर का सेफ्रॉन मुद्दा
- “कश्मीर का सेफ्रॉन यूनिट छटपट महसूस कर रहा है, जिससे समस्या बढ़ रही है।”
निष्कर्ष | Bangladesh Coup
मनोज झा का भाषण लोकसभा में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित था। उन्होंने बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए भारत की आर्थिक और सामाजिक नीतियों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके सुझाव और विचार न केवल आर्थिक प्रगति को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को भी आगे बढ़ा सकते हैं।
Sitesh Choudhary
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बहुत अच्छा लगा।