Internship Program | 5000 रुपये मासिक वेतन: बेरोजगारी का समाधान या धोखा?
नई दिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को इंटर्नशिप प्रोग्राम को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। राजद सांसद मनोज झा ने इंटर्नशिप के तहत 5000 रुपये मासिक वेतन को लेकर गंभीर सवाल उठाए, इसे बेरोजगारी के इस संकटपूर्ण दौर में अपर्याप्त करार दिया।
बेरोजगारी और इंटर्नशिप पर सवाल | Internship Program
मनोज झा ने राज्यसभा में कहा:
“बेरोजगारी के इस आलम में 5000 रुपये की इंटर्नशिप ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं कह सकता। प्रति माह 5000 रुपये का वेतन, जो प्रति दिन लगभग 166 रुपये होता है, न्यूनतम मजदूरी से कहीं ऊपर नहीं है। इसका आकलन होना चाहिए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस वेतन से बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
मुख्य बिंदु | Internship Program
- 5000 रुपये मासिक वेतन: मनोज झा के अनुसार, इंटर्नशिप के लिए 5000 रुपये मासिक वेतन बहुत कम है।
- न्यूनतम मजदूरी से तुलना: प्रति दिन 166 रुपये न्यूनतम मजदूरी के मानक से बहुत कम है।
- बेरोजगारी की समस्या: इंटर्नशिप के लिए दिए गए वेतन को बेरोजगारी की समस्या का समाधान मानना गलत है।
आंकड़े और सुझाव | Internship Program
मनोज झा ने बजट बनाने के संदर्भ में भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा:
“आर्टिकल 39 सब-क्लॉस सी के बिना बजट नहीं बनाना चाहिए। देश में 10% लोग 78% संपत्ति पर अधिकार रखते हैं। क्या हमें सुपर रिच को टैक्स करने का प्रावधान नहीं बनाना चाहिए?”
उन्होंने जातिगत जनगणना की आवश्यकता भी जताई, जिससे देश की आर्थिक स्थिति का सही आकलन किया जा सके।
वेतन वृद्धि की मांग | Internship Program
झा ने यह भी सुझाव दिया कि इंटर्नशिप वेतन को न्यूनतम मजदूरी के स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि:
“मनरेगा को लेकर दृष्टिकोण स्पष्ट होना चाहिए। 86 हजार करोड़ रुपये का रिवाइज्ड एस्टिमेट भी कम है। इससे मांग पर असर होगा, अच्छे एसेट्स का निर्माण नहीं होगा और पेमेंट डिले होगा।”
कृषि और कृषक कल्याण | Internship Program
मनोज झा ने कृषि और कृषक कल्याण पर भी ध्यान देने की बात की। उन्होंने कहा:
“छोटी जोत के किसान और भूमिहीन मजदूर हमारी प्राथमिकता में आने चाहिए।”
उन्होंने इंटर्नशिप को बेरोजगारी की समस्या का हल मानना गलत बताया और कहा कि इसे एक संवेदनशील मुद्दा बनाना चाहिए।
असंगठित क्षेत्र और एमएसएमई | Internship Program
झा ने संगठित और असंगठित क्षेत्र के रोजगार सृजन की तुलना की। उनका कहना था कि:
“संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति सैचुरेशन पर है, लेकिन असंगठित क्षेत्र में समायोजन की अभूतपूर्व क्षमता है। खासकर, माइक्रो और स्मॉल एमएसएमई पर हमारा फोकस होना चाहिए।”
पूर्व अनुभव और समायोजन की मांग | Internship Program
उन्होंने कुली समुदाय के समायोजन की बात भी की। झा ने कहा:
“रेलवे में कुली समुदाय के 200 हजार लोगों के समायोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए।”
कश्मीर के सेफ्रॉन पर टिप्पणी | Internship Program
मनोज झा ने कश्मीर के सेफ्रॉन की स्थिति पर भी सवाल उठाया और कहा:
“कश्मीर के सेफ्रॉन को इंपोर्ट फ्री सेफ्रॉन से कितना फर्क पड़ा है, यह फाइनेंस मिनिस्ट्री को समझना चाहिए।”
निष्कर्ष | Internship Program
मनोज झा ने अपने बयान का समापन करते हुए कहा:
“आशा है कि ये सब रूटीन रिचुअल न बने और इसे गंभीरता से लिया जाए।”
राज्यसभा में इंटर्नशिप प्रोग्राम के वेतन और बेरोजगारी की समस्याओं पर उठाए गए सवालों से यह स्पष्ट है कि ये मुद्दे आगे भी चर्चा में रहेंगे।
Sitesh Choudhary
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